Description
यह पुस्तक उन अनुभवों और पलों का संकलन है, जो बहन शशि धवन ने अपने प्रिय बाबूजी महाराज के साथ, अपनी किशोरावस्था से लेकर अप्रैल 1983 में उनके निधन तक बिताए थे। वह मार्च 1964 में होली के शुभ दिन पर बाबूजी महाराज के साथ अपनी पहली मुलाकात का वर्णन करती हैं - वो पहला पल जब उन्होंने अपनी गहरी आँखों से उन्हें देखा और उसमें उन्होंने दिव्यता का अनुभव किया। वह फिर बाबूजी के पास जाने की अपनी दैनिक दिनचर्या का वर्णन करती है, उनके साथ बैठकर उनके द्वारा बताई गई उन बातों को लिखना जिनको वह लिखवाना चाहते थे। वह आध्यात्मिक और भौतिक दोनों क्षेत्रों में उनके बशर्त प्रेम और व्यावहारिक ज्ञान की बहुत सारी कहानियाँ साझा करती हैं। संतों, देवताओं, नैतिकता, आचरण, प्राकृतिक नियमों और मानव जीवन के उच्चतम उद्देश्य तक पहुँचने के लिए मानव जीवन को कैसे जिया जाए उसके बारे में बहुत से किस्से हैं।
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Book dispatch by April 2022